Tuesday, April 24, 2012

गीत-मेरे हुजुर






आंसुओं को धार दो मेरे हुजुर,
गम को अपने मार दो मेरे हुजुर.
***
काटो गम की रात तुम चुपचाप से,
मिलते रहना तुम भी अपने आपसे,
आयेंगे अपने अच्छे दिन भी जरुर.
आंसुओं को धार दो मेरे हुजुर..
***
राह मुश्किल हो मगर चलना तो है,
ख्वाब टूटेंगे मगर पलना तो है,
धुंध में लगती है मंजिल भी दूर.
आंसुओं को धार दो मेरे हुजुर..
***
क्यूँ भला मुझको मिली ऐसी सजा?
दिन थे बहारों के मगर आई खिजा,
कोई बतलाये मुझे मेरा कसूर.
आंसुओं को धार दो मेरे हुजुर..


--गोपाल के.

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