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Sunday, April 15, 2012

ग़ज़ल -- सत्य को वनवास




अब सत्य को वनवास होता है बहुत
राह में खरमास होता है बहुत..

हम मर्दों को दर्द नहीं होता मगर,
दर्द का एहसास होता है बहुत..

करता है नम पलकों को अक्सर वही,
अपना जो भी ख़ास होता है बहुत..

इंसानियत के दिन लौटेंगे फिर से,
मुझको ये आभास होता है बहुत..

सैकड़ों तारों की भारी भीड़ में,
इक मगर आकाश होता है बहुत..

दिल को अक्सर तोड़ जाता है वही,
दिल के जो भी पास होता है बहुत..!


--गोपाल के.

Saturday, June 21, 2008

Das ki tarah


Rishta na toote kabhi Vishvaas ki tarah,
Khushiya baanto sabme Aakash ki tarah..

Ban-na ho kisi ki tarah to Dhyaan se suno,
Ban jao tum bhi Gopal Das ki tarah..


Ha Ha Ha.. just joking..

YE MAI HU-- GOPAL

LOVE MATCH


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