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Tuesday, September 10, 2013

कविता -- "हिंदी"





खुद की दशा पर
वो रो रही थी
आंसुओं से दामन
भिगो रही थी
तिरस्कृत, उपेक्षित,
और लाचार सी थी
शायद ग़म से
बीमार सी थी।
आवाज़ रुंधी हुए और
गला भर्राया था
वो एक माँ थी
जिसे बेटों ने भगाया था।
खुद की हालत पर
वो तरस खाए भी तो कैसे?
अपनी बेबसी किसी को
वो बताये भी तो कैसे??
गलतियों को माफ़ करना ही
शायद उसकी भूल थी,
तभी आज वो फांक रही
दर ब दर की धूल थी।
पर हिम्मत न हारी वो
तूफानों से ना डरती है
ये अपनी हिंदी माता है
जो अब भी अंग्रेजों से लडती है।
अपनी गौरव गाथा को
अंग्रेजी से नहीं मिटाना है,
हम सबको क्रांति लाना है
हिंदी को मान दिलाना है।।

– गोपाल के.

Monday, May 7, 2012

तेरी ममता को सलाम





















माँ तू क्या है?
किस मिटटी की बनी है तू?
क्यूँ इतना भार सह लेती है?
क्यूँ हँस कर
हर गम सह लेती है?
हमे सुलाने की खातिर तू,
क्यूँ जगती है रात-रात भर?
क्यूँ खुद भूखी रह कर भी
हम बच्चों का भरती पेट?
क्यूँ अपने अरमानों का दम घोंटकर
बच्चों की ख्वाहिश करती पूरी?
क्यूँ सहती है तू इतना कुछ?
क्या क्रोध नहीं आता है तुझको?
लाख ग़मों से घिरी हो फिर भी
बच्चों का हँसना भाता है तुझको..
किस मिटटी से बनी है माँ तू?
इतना बड़ा दिया किसने दिल?
क्यूँ राम भी चाहें तेरा पालना
क्यूँ कान्हा तेरी कोख में आये?
क्या है तेरे इस आँचल में?
जो हर भय को दूर भगाए?
तेरी ममता की जग कायल
आंसू तेरे बने गंगाजल
तू अमृत के खान के जैसी
तू धड़कन या जान के जैसी
तुने दिया मुझे इक नाम
तेरी ममता को सलाम
तेरी ममता को सलाम

--गोपाल के.






Thursday, July 31, 2008

MAUT SE MAANGI THI HUMNE


MAUT SE MAANGI THI HUMNE ZINDGI KUCHH PAL KI,
WAQT BURA THA MERA JO, WO MUSKURA KE CHAL DI..!!


JO HONA HAI WO HOGA HI, IN LAMHOn KO TO JEE LO,
JINHE AAJ KI KHABAR NAHI, KHABAR KYA HOGI KAL KI ?


MAUT KI AAGOSH ME JAB SIR RAKH KE SOYE HUM,
YAAD BAHUT AAYI HUME TAB MAA KE AANCHAL KI..!!


SAPNE PURE KARNE KO, KAM PADD GAYI YE ZINDGI,
AHMIYAT PATAA CHALI AB HUME, JEEWAN KE HAR PAL KI..!!

--GOPAL K.

Tuesday, July 29, 2008

MARNE SE PAHLE

MARNE SE PAHLE KARNE KAI KAAM BAAKI HAIn,
KAATNE KO ABHI TANHA KAI SHAAM BAAKI HAIn॥!


TUM TO PAHUCHNE KO HO MANZIL KE PAAS AB TO,
SAFAR HAI LAMBA MERA, RASTA TAMAAM BAAKI HAI॥!


MAA-BAAP, BHAI-BAHEN, KITNI HASRAT PAALE BAITHE HAIn,
IN SABKE LIYE KARNA ABHI MUJHE INTEZAAM BAAKI HAI॥!


MERE PYAR KE BADLE JO TUM MUJHPAR THE LAGA GAYE,
MAATHE SE HATAANA ABHI WO SARE ILZAAM BAAKI HAI॥!


DEKHE THE KITNE SAPNE, HASRATEin THI KITNI DIL MEin,
REH GAYA HAI DENA TUJHE IK PAIGAAM BAAKI HAI॥!


PEEKAR JISE BHULA DU, TERE DIYE HUYE GAM SAARE,
AB HAATHOn SE PEENA TERE WO JAAM BAAKI HAI॥!!



--GOPAL K.

YE MAI HU-- GOPAL

LOVE MATCH


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