
वो और भी जुल्म हम पर ढाते रहे ।।
उनके लिए तो मै कुछ भी न था ,
हम ही एकतरफा रिश्ता निभाते रहे ॥
घर पर मेरे कोई आता न था ,
बस गम ही थे जो कि आते रहे ॥
भूल जाता हू मै भूल जाना उसे ,
याद आया वही जो भुलाते रहे॥
एक मेरे साथ कुछ उम्मीद जागती रही ,
अपने गम और तन्हाई को हम सुलाते रहे ॥
--गोपाल के.