Showing posts with label सन्नाटा. Show all posts
Showing posts with label सन्नाटा. Show all posts

Sunday, December 1, 2019

सिले हुए लब

लब जो सिल लिया अगर मैंने, कैसे सह पाओगे तुम वो सन्नाटा,
मेरी हर चीख तुमसे ये पूछेगी, पेड़ से डाल को तुमने क्यूँ काटा।

मौन कब तक रहोगे तुम बोलो, अपने लब को तो अब तुम्ही खोलो,
दिल नहीं सह सकेगा ज़ुल्म कोई, दिल में उठता है ज्वार और भाटा।।

--गोपाल के.



Friday, August 29, 2008

किसका इंतजार ?


कितना खाली लगता है
ये दिल कभी-कभी,
बिलकुल खोखला सा..
किसी सूखे दीमक लगे पेड़ के
खोखले तने की तरह..
बिलकुल खाली सा
इतना कमजोर
कि तेज हवा के झोंके से भी
टूट कर गिर पड़े,
और इतना गहरा सन्नाटा
जैसे गहरे कुंए में
पानी की परछाई में
सिर्फ अपनी ही तस्वीर
जैसे चाँद से झांकता कोई
दिल के वीरानेपन को
देखने की कोशिश कर रहा हो
पर दूर से
बहुत दूर से..
पास आने से डरता होगा
वो भी
खुशियों की तरह
या शायद
बेपरवाह हो.
कुछ भी हो..
मुझे क्या?
मै तो तब भी तन्हा था
तन्हा दिल लिए
अब भी तन्हा ही रहूँगा
कौन आएगा दूर करने इसको?
अब तो रात हो चली है,
अपना साया तक साथ छोड़ चला,
तो अब क्या उम्मीद
और किसका इंतज़ार?

--गोपाल के.

Saturday, June 21, 2008

Tanha-Tanha


Tanha-Tanha firta hu is pure jahaan me,

Sannaate hain Goonjte Ab mere kaan me..

Kaun kehta hai Akela hu main yahaan?

Tanhaayion ka deraa hai Mere Makaan me..!

_Gopal K

YE MAI HU-- GOPAL

LOVE MATCH


Hi5 Cursors