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Tuesday, April 24, 2012
गीत-मेरे हुजुर
आंसुओं को धार दो मेरे हुजुर,
गम को अपने मार दो मेरे हुजुर.
***
काटो गम की रात तुम चुपचाप से,
मिलते रहना तुम भी अपने आपसे,
आयेंगे अपने अच्छे दिन भी जरुर.
आंसुओं को धार दो मेरे हुजुर..
***
राह मुश्किल हो मगर चलना तो है,
ख्वाब टूटेंगे मगर पलना तो है,
धुंध में लगती है मंजिल भी दूर.
आंसुओं को धार दो मेरे हुजुर..
***
क्यूँ भला मुझको मिली ऐसी सजा?
दिन थे बहारों के मगर आई खिजा,
कोई बतलाये मुझे मेरा कसूर.
आंसुओं को धार दो मेरे हुजुर..
--गोपाल के.
Sunday, April 22, 2012
आंकलन (मजदूर दिवस पर)
तुम
वातानुकूलित कमरे में बैठकर
करते हो मेरा
आंकलन
और मापते हो
मेरी गरीबी
तुम्हे
कोई परवाह नहीं
कि हम
क्या पहनते हैं?
क्या खाते हैं?
हाड तोड़ मेहनत के बाद
हम बदले में
क्या पाते हैं??
ये हमारी खुद्दारी नहीं
बल्कि मजबूरी है
कि हम कतारों में नहीं दिखते
न राशन के
न गैस के
और न बेरोजगारी भत्ते के..
ना हमारा बी.पी.एल. कार्ड है
ना गैस कनेक्सन के पैसे
और ना ही हम
सरकारी बाबुओं की कोई
खिदमत ही कर सकते हैं,
हम तो बस जी रहे हैं
धरती पे बोझ की तरह
बल्कि मजबूरी है
कि हम कतारों में नहीं दिखते
न राशन के
न गैस के
और न बेरोजगारी भत्ते के..
ना हमारा बी.पी.एल. कार्ड है
ना गैस कनेक्सन के पैसे
और ना ही हम
सरकारी बाबुओं की कोई
खिदमत ही कर सकते हैं,
हम तो बस जी रहे हैं
धरती पे बोझ की तरह
हाँ, हमारे घर
कोई बिल नहीं आता
ना बिजली का
ना फोन का
और ना ही हम
संसद के
किसी बिल का
हिस्सा होते हैं
कोई बिल नहीं आता
ना बिजली का
ना फोन का
और ना ही हम
संसद के
किसी बिल का
हिस्सा होते हैं
हम तो वो हैं साहब
जो मर गया
तो विपक्षी दल
बवाल करते हैं
हमारे नाम पे
अपनी रोटियाँ सेंकते हैं
और सरकार
हमे मरने नहीं देती
वरना उनका
गरीबी का
चुनावी मुद्दा ही
ख़तम जो हो जायेगा..
और हमारे नाम पर
मलाई खा रहे
सरकारी सरकारी अफसरों के
बंगलों का
साजोसामान कैसे आएगा?
जो मर गया
तो विपक्षी दल
बवाल करते हैं
हमारे नाम पे
अपनी रोटियाँ सेंकते हैं
और सरकार
हमे मरने नहीं देती
वरना उनका
गरीबी का
चुनावी मुद्दा ही
ख़तम जो हो जायेगा..
और हमारे नाम पर
मलाई खा रहे
सरकारी सरकारी अफसरों के
बंगलों का
साजोसामान कैसे आएगा?
हमारे नाम पर
कई लोग
कमा खा रहे हैं
हमारा क्या है?
हम तो मुफलिसी में भी
हंसकर जिए जा रहे हैं..
कई लोग
कमा खा रहे हैं
हमारा क्या है?
हम तो मुफलिसी में भी
हंसकर जिए जा रहे हैं..
शायद हमारी यही मुस्कान
इन बड़े लोगों को अखरती है
वो नोटों की गड्डियों पर भी
सो नहीं पाते
और हमे
फुटपाथ पे भी
चैन की नींद
कैसे पड़ती है?
इन बड़े लोगों को अखरती है
वो नोटों की गड्डियों पर भी
सो नहीं पाते
और हमे
फुटपाथ पे भी
चैन की नींद
कैसे पड़ती है?
ये तो आपलोग ही जानो साहब
आप कमाते हो
कुछ ज्यादा ही कमाते हो
तभी तो इधर उधर कर के
जैसे भी करके
इनकम टैक्स बचाते हो,
आप कमाते हो
कुछ ज्यादा ही कमाते हो
तभी तो इधर उधर कर के
जैसे भी करके
इनकम टैक्स बचाते हो,
आपका सारा चैन
काली कमाई को बचाने में
उसे सुरक्षित जगह
खपाने में
लगा रहता है
गरीबी पर टैक्स नहीं लगता ना
तभी तो वो चैन से रहता है..
काली कमाई को बचाने में
उसे सुरक्षित जगह
खपाने में
लगा रहता है
गरीबी पर टैक्स नहीं लगता ना
तभी तो वो चैन से रहता है..
गरीब जियेगा या मरेगा
पर करेगा नरेगा
और देश का विकास करेगा
आप साहब लोग
देश का मेहनताना
यानि टैक्स चुराते हो
उल्टा मंहगाई बढ़ने का इल्जाम
हमारा ज्यादा खाना बताते हो?
पर करेगा नरेगा
और देश का विकास करेगा
आप साहब लोग
देश का मेहनताना
यानि टैक्स चुराते हो
उल्टा मंहगाई बढ़ने का इल्जाम
हमारा ज्यादा खाना बताते हो?
हाँ, खाना तो असल में
हम गरीब ही खाते हैं
आप तो डॉक्टर की दवाईयों से ही
अपना पेट भर लेते हो
हम
रिक्शे वाले
ठेले वाले
या दिहाड़ी मजदूर हैं
हम हर हाल में जीते हैं
हम तो बस ठोकर खाते हैं
और गम के आंसू पीते हैं..
तुम चाहे टैक्स भरो ना भरो
पर हम गरीबों का आंकलन
हमे देख कर करो..!!
हम गरीब ही खाते हैं
आप तो डॉक्टर की दवाईयों से ही
अपना पेट भर लेते हो
हम
रिक्शे वाले
ठेले वाले
या दिहाड़ी मजदूर हैं
हम हर हाल में जीते हैं
हम तो बस ठोकर खाते हैं
और गम के आंसू पीते हैं..
तुम चाहे टैक्स भरो ना भरो
पर हम गरीबों का आंकलन
हमे देख कर करो..!!
--गोपाल के.
Wednesday, October 22, 2008
AYE DARD
GAM KA KUCHH ASAR HI NA RAHE TU ITNA NA GAM DIYA KAR..
ASHQ PEEKAR HI NA PYAASE KI PYAAS MAR JAYE KAHEEN,
KISI KI NAZRON KO TU ITNA BHI NA NAM KIYA KAR..!!
--GOPAL K.
Saturday, September 13, 2008
हम मुस्कुराते रहे

वो और भी जुल्म हम पर ढाते रहे ।।
उनके लिए तो मै कुछ भी न था ,
हम ही एकतरफा रिश्ता निभाते रहे ॥
घर पर मेरे कोई आता न था ,
बस गम ही थे जो कि आते रहे ॥
भूल जाता हू मै भूल जाना उसे ,
याद आया वही जो भुलाते रहे॥
एक मेरे साथ कुछ उम्मीद जागती रही ,
अपने गम और तन्हाई को हम सुलाते रहे ॥
--गोपाल के.
Tuesday, August 26, 2008
कोई शिकवा नही

क्यूँ खुश हैं वो मेरा दिल दुखाने से?
बस खुद से ही गिला है मुझको,
कोई शिकवा नहीं इस जमाने से॥
बिगड़ जाये तो उसको बना लीजिये,
बात बनती है बस बनाने से॥
मै हर गम हँसकर सह लूँगा उनके,
वो खुश हैं गर मुझे सताने से॥
नजर अपनी ही ओर पाई है,
देखता हूँ जब उन्हें बहाने से॥
रूठने का फिर मजा ही क्या?
मान जाये कोई जो मनाने से॥
दिल गमजदा हो गया खोकर किसी को,
तो खुश हो गया किसी को पाने से॥
--गोपाल के.
Thursday, July 31, 2008
SAUGAAT

KABHI BICHHDE TO KABHI MULAQAT HAI,
KABHI RANGEEN SHAM, KABHI GAM KI RAAT HAI..!!
WAQT PAR SATH NAHI DETA YE WAQT BHI,
WAQT KI LAGTI BURI BAS YAHI BAAT HAI..!!
BAS ISI BAAT SE MAIn PARESHAAN HUN,
SAMAJHTAA NAHI KYOn WO JAZBAAT HAI..?
JO USNE DIYA HAI TO CHHEENEGA KAUN?
HAR SAANS KHUDA KI HI SAUGAAT HAI..!!
BURE KAAM SE AB TO KAR LE TU TAUBA,
WARNA IK DIN HONI TERI MAAT HAI..!!
--GOPAL K.
KABHI RANGEEN SHAM, KABHI GAM KI RAAT HAI..!!
WAQT PAR SATH NAHI DETA YE WAQT BHI,
WAQT KI LAGTI BURI BAS YAHI BAAT HAI..!!
BAS ISI BAAT SE MAIn PARESHAAN HUN,
SAMAJHTAA NAHI KYOn WO JAZBAAT HAI..?
JO USNE DIYA HAI TO CHHEENEGA KAUN?
HAR SAANS KHUDA KI HI SAUGAAT HAI..!!
BURE KAAM SE AB TO KAR LE TU TAUBA,
WARNA IK DIN HONI TERI MAAT HAI..!!
--GOPAL K.
Wednesday, July 16, 2008
नही आते

Palke chamak uthi hain neend me hamari,
aankho ko abhi khwab chhupane nahi aate॥
ye na samajhna ki tumhe bhool gaye hum,
bas baat shuru karne ke bahaane nahi aate॥
Aa to jati hai Qadmo me saari duniya magar,
Laut kar kabhi fir se guzre jamaane nahi aate॥
Mehfil me sabhi sochte hain ki ise gam nahi koi,
Hum pee jate hain AshQ kisi ko dikhaane nahi aate॥
Jo Dil me hai mere wahi baat Jubaan par hogi,
Hume bayaan karne bas ye Fasaane nahi aate॥
Dekho na kitne log aaye hain meri Qabr par,
Aate hain sabhi DOST, kuch wo puraane nahi aate॥
--GOPAL K.
Saturday, June 28, 2008
WAFAA
Meri Aankhen Namm ho kyon?
TSUNAAMI
Saturday, June 21, 2008
Muskurate raho

Gam ko hasi me Chhupate raho,
Dard me bhi Muskurate raho॥
Bhaag jayenge Gam tumhe dekhkar,
Bas Haste raho KhilKhilate raho..!
--Gopal K
Mere Hisse Me Tanhayi Kyu Hai??

Dil ki dhadkan se judaayi kyu hai?
Gam ki kaali ghata chhayi kyu hai?Gam ki ye aag bujhaaun kaise?
Tune ye aag lagaayi kyu hai?
Mai to wapas chala tha ghar ki taraf,
Dil ne fir ummeed jagaayi kyu hai?
Hain kayi Dost mere fir bhi magar,
Mere hisse me Tanhayi kyu hai?
---GOPAL K
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