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Sunday, November 24, 2019

राह ए उल्फ़त

फ़क़त तेरी नज़र ए करम की चाह में,
कबसे खड़े हैं हम उल्फ़त की राह में।

सुन सकेगा वो कैसे किसी की बात,
जिसे दर्द ही न दिखे किसी की आह में।।

--गोपाल के.

Saturday, November 23, 2019

बचपन फिर ना मिला

बच्चों सा सच्चा मन ना मिला,
सन्तोष से बढ़कर धन ना मिला ।
बेफ़िक्र और आज़ादी से भरी,
मुझे फिर से वो बचपन ना मिला ।।

--गोपाल के


Friday, November 22, 2019

कैसे कहूँ दिल की बात पिया



कैसे कहूँ दिल की बात पिया,
आँखों में कटी है रात पिया ।
धड़कन दिल की बढ़ जाती है,
जब होती है मुलाकात पिया।।

कैसे कहूँ के तुमसे हैं जुड़े,
मेरे दिल के हर जज़्बात पिया।
आँखों मे मेरी तुम पढ़ लो,
दिल की मेरी ये बात पिया।।

-- गोपाल के


Tuesday, September 10, 2013

कविता -- "हिंदी"





खुद की दशा पर
वो रो रही थी
आंसुओं से दामन
भिगो रही थी
तिरस्कृत, उपेक्षित,
और लाचार सी थी
शायद ग़म से
बीमार सी थी।
आवाज़ रुंधी हुए और
गला भर्राया था
वो एक माँ थी
जिसे बेटों ने भगाया था।
खुद की हालत पर
वो तरस खाए भी तो कैसे?
अपनी बेबसी किसी को
वो बताये भी तो कैसे??
गलतियों को माफ़ करना ही
शायद उसकी भूल थी,
तभी आज वो फांक रही
दर ब दर की धूल थी।
पर हिम्मत न हारी वो
तूफानों से ना डरती है
ये अपनी हिंदी माता है
जो अब भी अंग्रेजों से लडती है।
अपनी गौरव गाथा को
अंग्रेजी से नहीं मिटाना है,
हम सबको क्रांति लाना है
हिंदी को मान दिलाना है।।

– गोपाल के.

YE MAI HU-- GOPAL

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