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Friday, December 13, 2019
वक़्त का वक़्त
वक़्त मुझसे पूछता है
"कौन है तू?"
दे मेरा उत्तर
भला क्यों मौन है तू?
मुँह से निकला
"वक़्त का
मारा हुआ हूँ,
जीता सबसे
खुदसे मगर
हारा हुआ हूँ।"
वक़्त बोला मुझसे -
"मत हो तू उदास,
आऊँगा वक़्त होने पर
मैं तेरे भी पास।।"
--
गोपाल के.
थोड़ा और वक़्त
जो थोड़ा और होता वक़्त गर मेरी ज़िन्दगानी में,
तो मैं लिखता नया अंजाम अपनी इस कहानी में।
मेरे अश्कों में ऐसा ताब है कि सब जला डाले,
हवा होता समुंदर भी जो लगती आग पानी में।।
--गोपाल के.
Tuesday, December 10, 2019
कहीं दूर चलो
माना तुम हो आज बहुत मजबूर चलो,
होगा वक़्त तुम्हारा कल तो जरूर चलो।
फिर चलना वहाँ ना हो कोई और जहाँ,
दुनिया से कहीं दूर बहुत ही दूर चलो।।
--गोपाल के.
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