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Saturday, December 29, 2012

क्या होता?



क्या होता?
अगर इस दामिनी की जगह 
सरकार के 
किसी बड़े नेता की 
बहू या बेटी की 
इज्ज़त लुटी होती 
क्या होता तब?
अगर वो 
यूँ ही बेबस और लाचार 
ज़िन्दगी और मौत से जूझती 
अश्रु भरे नयनों से 
ये सवाल पूछती 
कि कब पकडे जायेंगे 
मेरे बलात्कारी?
मेरी अस्मत को 
सरे राह लूटने वाले 
मानवता के 
चीथड़े उड़ाने वाले 
कब मिलेगी उनको फांसी?
कब तक हम 
अपनी इज्ज़त यूँ ही 
गंवाती रहेंगी?
कब तक हम यूँ ही 
छेड़खानी सहेंगी?
आखिर कब तक?
शायद 
तब ना  इतनी देर होती 
ना  ही इतनी अंधेर होती 
अगर दामिनी की जगह 
किसी नेता की 
बहू  या बेटी होती 
तब तो शायद 
दूसरे दिन ही 
नया संशोधित क़ानून 
सर्वसम्मत से 
पास हो गया होता 
क्यूँ कि उस नेता की 
बहू  या बेटी से 
हर दल का नेता जुड़ा होता 
जैसे अपने वेतन की 
बढ़ोत्तरी के लिए 
हर दल का 
हर पक्ष का 
हर विपक्ष का 
नेता 
एक ही सुर में 
बोल रहा था 
ऐसे ही 
यहाँ भी सब नेता 
एक ही सुर में बोलते 
क्यूँ कि 
उनको भी अपनी 
बहू  बेटी की इज्ज़त 
प्यारी होती 
मगर दामिनी?
वो तो एक आम लड़की थी 
वो किसी नेता की 
बहू  या बेटी जो नहीं थी 
तभी तो उसे 
इन्साफ नहीं 
मौत नसीब हुयी 
वो भी ऐसी मौत 
कि  उसकी रूह 
तड़पती रहेगी 
जाने कब तक 
खुद पर हुए 
जुल्म के इन्साफ के लिए 
और फिर से 
ऐसे दुराचारी 
बिना किसी डर  के 
किसी और दामिनी की 
इज्ज़त तार-तार कर रहे होंगे 
और हमारे नेता 
अब अपनी बारी  का 
इंतजार कर रहे होंगे।

-गोपाल के .

Monday, April 9, 2012

कई सवाल





सुबह का इंतजार
रात की कािलमा भी करती है
क्या वो भी
अंधेरों से डरती है?
िसतारों भरी नीली चादर तानकर
जब सूरज सोता है,
तब वो भी क्या हज़ारो की भीड़ में
तनहा होता है?
दूर पहाड़ी से आँख मलते हुए
जब सूरज उगता है
तो क्या उसकी भी आँखों को
सूरज चुभता है?
सरसराती पत्तों को जब
हवा उडाती है,
तो क्या उसको भी
िकसी की याद आती है?
रिमझिम बारिश की फुहारें
जब अंतस को िभगाती हैं,
तो क्या बारिश की बूँदें भी
कुछ गुनगुनाती हैं?
जब मेघ के बादल घुमड़ते हैं,
तो क्या उसके मन में भी
कई सवाल उमड़ते हैं?

– गोपाल के.


Wednesday, October 22, 2008

DIL


DIL PAR JAB BHI HUMNE AITBAAR KIYA,
DIL NE BADLE ME BAS HUME INTEZAR DIYA..
DIL KO TO PATA BHI NA CHALA HOGA YE,
KI DIL KE KAHNE PAR HUMNE US SE PYAR KIYA..!!
--GOPAL K.

Friday, August 29, 2008

किसका इंतजार ?


कितना खाली लगता है
ये दिल कभी-कभी,
बिलकुल खोखला सा..
किसी सूखे दीमक लगे पेड़ के
खोखले तने की तरह..
बिलकुल खाली सा
इतना कमजोर
कि तेज हवा के झोंके से भी
टूट कर गिर पड़े,
और इतना गहरा सन्नाटा
जैसे गहरे कुंए में
पानी की परछाई में
सिर्फ अपनी ही तस्वीर
जैसे चाँद से झांकता कोई
दिल के वीरानेपन को
देखने की कोशिश कर रहा हो
पर दूर से
बहुत दूर से..
पास आने से डरता होगा
वो भी
खुशियों की तरह
या शायद
बेपरवाह हो.
कुछ भी हो..
मुझे क्या?
मै तो तब भी तन्हा था
तन्हा दिल लिए
अब भी तन्हा ही रहूँगा
कौन आएगा दूर करने इसको?
अब तो रात हो चली है,
अपना साया तक साथ छोड़ चला,
तो अब क्या उम्मीद
और किसका इंतज़ार?

--गोपाल के.

Sunday, August 3, 2008

HASEEn NIGAAHEin


KAYI BAAR MIL CHUKI HAIn YE HASEEn-HASEEn NIGAAHEin,
FIR BHI DIL DHADAK UTHTA HAI, BHARTAA HAI YE AAHEin..!!

YA TO TUM HASEEN NA HOTI, YA MAIn JAWAAn NA HOTA,
TUMHI BATAA DO MUJHKO, HUM KYUn NA TUMKO CHAAHEiN..!!

AB TO AA JAO SANAM, BAHUT HO CHUKA YE INTEAZAAR,
PUKAARTE HAIn TUMHE KAB SE, FAILA KAR APNI BAAHEiN..!!

KHUSHI HI KHUSHI MILI, HUMSAFAR TUM JO BAN GAYE,
MANZIL EK HO GAYI HAI, EK HO GAYI HAI APNI RAAHEin..!!
--GOPAL K.

YE MAI HU-- GOPAL

LOVE MATCH


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