जो थोड़ा और होता वक़्त गर मेरी ज़िन्दगानी में,
तो मैं लिखता नया अंजाम अपनी इस कहानी में।
मेरे अश्कों में ऐसा ताब है कि सब जला डाले,
हवा होता समुंदर भी जो लगती आग पानी में।।
--गोपाल के.
अपने हर राज हमसे छुपाया ना करो,पर हर बात सभी को बताया ना करो..मै पहले से ही परेशां हूँ बहुत सच में,तुम मुझे अब और सताया ना करो..दिल पर लगते हैं तो ये धुलते नहीं,दिल पे कोई दाग लगाया ना करो..ये आग लगती तो है पर बुझती नहीं,तुम इश्क की आग लगाया ना करो..अरमान भी सो चले ख्वाबों की तरह,तुम इन्हें फिर से जगाया ना करो..वादे करते हो तोड़ देते हो मगर,मुझसे झूठी कसमे खाया ना करो..
याद करना भी सीख लो मुझसे,या तो फिर याद ही आया ना करो..--गोपाल के.