
हे कृष्ण कन्हैया
मुरली बजैया
सुन रे माखनचोर
इस धरती का पाप मिटाने
फिर आजा रे रणछोड़
पतित पावनी गंगा मैली
यमुना करे पुकार
आ जा फिर यमुना के तीरे
कर सबका उद्धार
गीता का ज्ञान दिया तुमने
नारी को मान दिया तुमने
बचपन के सखा सुदामा को
क्या-क्या ना दान दिया तुमने
कई द्रौपदी हैं आज यहाँ
कई राधा हैं कई भामा हैं
हमको भी गले लगा ले मोहन
हम भी तेरे सुदामा हैं
डूब रहे हैं बीच भंवर में
आकर के उद्धार करो
बहुत बढ़ गए पापी जग में
अब आकर संहार करो..!!
--गोपाल के.