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Friday, December 13, 2019
थोड़ा और वक़्त
जो थोड़ा और होता वक़्त गर मेरी ज़िन्दगानी में,
तो मैं लिखता नया अंजाम अपनी इस कहानी में।
मेरे अश्कों में ऐसा ताब है कि सब जला डाले,
हवा होता समुंदर भी जो लगती आग पानी में।।
--गोपाल के.
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