अब सत्य को वनवास होता है बहुत
राह में खरमास होता है बहुत..
हम मर्दों को दर्द नहीं होता मगर,
दर्द का एहसास होता है बहुत..
करता है नम पलकों को अक्सर वही,
अपना जो भी ख़ास होता है बहुत..
इंसानियत के दिन लौटेंगे फिर से,
मुझको ये आभास होता है बहुत..
सैकड़ों तारों की भारी भीड़ में,
इक मगर आकाश होता है बहुत..
दिल को अक्सर तोड़ जाता है वही,
दिल के जो भी पास होता है बहुत..!
--गोपाल के.
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