Monday, April 16, 2012
क्षणिका
1-
हिन्दू, मुस्लिम,
सिक्ख, इसाई,
सबको डस गयी
ये मंहगाई.
2-
क्षण में फूंक दे
खुद को भी
आक्रोश
3-
तुम्हारी व्यथा
मन की कथा
तुम्हारी जुबानी
मेरी कहानी
4-
धर्मार्थ हो,
परमार्थ हो,
इसमें न कोई
स्वार्थ हो.
5-
हार गया
पहलवान
समय बड़ा
बलवान
--गोपाल के.
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