वाणी की कटुता को कभी ना धार तुम देना,
टूटते रिश्तों को फिर से नया आधार तुम देना।
जो रिश्ता ना निभे उसको नया आकार दे देना,
जो थामे हाथ गिरते का उसे आभार तुम देना।।
--गोपाल के.
टूटते रिश्तों को फिर से नया आधार तुम देना।
जो रिश्ता ना निभे उसको नया आकार दे देना,
जो थामे हाथ गिरते का उसे आभार तुम देना।।
--गोपाल के.
No comments:
Post a Comment