Sunday, June 29, 2008
गीतों की माला
अल्फाजों के मोती चुन-चुन कर गीतों की माला मै बुनता हूँ,
जिसे सुनकर सब कुछ भूल सकूँ मै ऐसी गज़लें सुनता हूँ..
गोपाल के.
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