एहसास से भरा, तेरे जज़्बात से भरा था,
वो ख़त मैंने जाने कितनी दफा पढ़ा था।
उस ख़त में आज भी ख़ुशबू तेरी आती है,
सूखा सा एक ग़ुलाब भी संग जो जड़ा था।।
--गोपाल के.
होकर जवान बेटे घर से कमाने चले गए,
गाँव छोड़ा और शहर में गँवाने चले गए।
आँखों में आस अब भी शायद करे ख़बर,
वो ख़त वाले प्यार के ज़माने चले गए।।
--गोपाल के.