ये तन्हाई ये बेचैनी और साथ देने को बस पुरानी यादें दिल पर बस चलता है और न ही दिमाग पर बस चलता है तो यादो पर जो तडपती हैं आकर.. मै तो नहीं बुलाता इन यादों को अपने पास फिर क्यूँ आ जाती हैं ये देख कर मुझे उदास? शायद ये तनहा देख कर मुझे साथ देने आ जाती हैं हाँ, ये बेवफा नहीं हैं तुम्हारी तरह झूठी नहीं हैं तुम्हारे वादों की तरह टूटती नहीं हैं तुम्हारी कसमो की तरह सिर्फ इन्हें थोडा सा वक़्त ही तो चाहिए नहीं चाहती धन दौलत और न तन्हाई ये तो कही भी आ सकती हैं कहीं भी जा सकती हैं बिना किसी रोक टोक के और बिना किसी के इज़ाज़त के.. क्यूंकि ये किसी को तनहा नहीं देख सकती.. यादें हैं न..! इन्हें किसी ने बेवफाई नहीं सिखाई तभी ये बावफा हैं और हमसफ़र हैं हमारी जिंदगी की ताउम्र .. ताजिंदगी..!!
कुछ तो कहो
यूँ खामोश क्यों हो
भला
बुरा
गुस्सा
या जो भी चाहो
कह डालो,
मैं
सुनना चाहता हूँ तुम्हे,
तुम्हारे नाराजगी भरी
कोई बात ही सही,
वो गलती
जो मैंने की ही नहीं,
चाहे जो भी इल्ज़ाम दे दो,
पर खामोशी तोड़कर
मेरे बेचैन दिल को
आराम दे दो,
चुप ना रहो।
कुछ तो कहो।।
मिलकर भी पूरी ना लगी तुमसे मुलाकातें,
याद में तेरे बीते दिन पर गुजरे ना ये रातें।
चाहते तो थे करना बयां तुमसे हाल ए दिल,
पर दिल में दबी रह गई कुछ अनकही बातें ।।
-- गोपाल के