Sunday, November 24, 2019
राह ए उल्फ़त
फ़क़त तेरी नज़र ए करम की चाह में,
कबसे खड़े हैं हम उल्फ़त की राह में।
सुन सकेगा वो कैसे किसी की बात,
जिसे दर्द ही न दिखे किसी की आह में।।
--गोपाल के.
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