Monday, December 2, 2019

रात ढलने को आई

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रात फिर ढलने को आई है,
ग़म की बदली सी छाई है।
♥️
ना तू साथ में, ना हैं यादें तेरी,
ना ही साथ अब तेरी परछाई है।।
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--गोपाल के.

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